रविवार, 28 नवंबर 2021

GST kya hai ?

 

GST kya hai ?


आज इस ब्लोग मे हम GST के बारेमे जाने गे कि GST kya hai ? GST कितने टाईप के होते है। Purchase, Sales और कई तरह के Expense पर GST लगाना रहेता है ईसलीये GST के बारे मे जानना बहुत जरूरी है। इसीलीए इस ब्लोग में हम आपको GST के बारे में पुरी जानकरी देने की कोशीश करेंगे। ताकी आप अच्छी तरह से समज पाये की GST kya hai ?

GST एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है जो भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई 2017 को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विनिर्माण, व्यापार और सेवाओं के क्षेत्र में काम करने वाले सभी संगठनों से लगाया जाता है।इसका पूरा नाम गुड्स एंड सर्विस टैक्स है

जीएसटी कानून बनने से पहले हमारे देश में वैट, सर्विस टैक्स, एंट्री टैक्स, लग्जरी टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी जैसे कई तरह के टैक्स लगते थे। इन सभी करों को समाप्त कर दिया गया और एक देश एक कर यानी जीएसटी पेश किया गया।

जीएसटी की शुरूआत के साथ, प्रत्येक राज्य में एक ही वस्तु पर एक समान ही कर रहेने से छोटे उत्पादकों के साथ-साथ व्यापारियों को किसी भी राज्य में समान व्यापार के अवसर प्रदान करने में सक्षम होगा।

पहले, किसी उत्पाद या सेवा के आदान-प्रदान पर एक से अधिक कर लगाया जाता था, जिसके वजह से प्रत्येक कर के लिए एक अलग रिटर्न भरना पडता था। जीएसटी की शुरुआत के साथ, वस्तुओं या सेवाओं के आदान-प्रदान पर लगाए गए समान कर के कारण एक ही रिटर्न भरना करना पड़ता है।

GST kya hai



जीएसटी लागू होने के बाद कौन सा टैक्स जारी रहेगा?

जीएसटी लागू होने के बाद कस्टम ड्यूटी, स्टांप ड्यूटी, प्रॉपर्टी टैक्स, टोल टैक्स, एक्सपोर्ट ड्यूटी, बिजनेस टैक्स जैसे टैक्स जारी रहेंगे।

More Read:- Inventory with GST Example-1 GST in Helmet Exp-3 GST in Tally

जीएसटी पंजीकरण (Registration) किसे करना है?

जिनका सालाना कारोबार 20 लाख या उससे अधिक है, उन्हें जीएसटी के लिए पंजीकरण (Registration) करना आवश्यक है लेकिन कुछ राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड, सिक्किम आदि में संगठन का कारोबार 10 लाख या उससे अधिक है। तो उसके लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

इसके अलावा, भले ही निम्नलिखित व्यक्ति या संगठन उपरोक्त मर्यादा में नहीं आते हैं, उन्हें जीएसटी के लिए पंजीकरण करना आवश्यक है।

1) जो अंतरराज्यीय वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति करने का काम करते हैं।

2) जो व्यापारी रिवर्स चार्ज के तहत कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।

3) ऑनलाइन सामान या सेवाओं की आपूर्ति के लिए काम करने वाले संगठन के लीये भी GST number लेना अनीवार्य है

4) एक वाणिज्य ऑपरेटर।

5) एक एजेंट के रूप में कार्य करने वाली संस्था।

6) एनआरआई व्यक्ति या संस्था।


जीएसटी पंजीकरण (Registration) किस राज्य से आवश्यक है?

जिस राज्य में टैक्सेबल सामान या सेवाओं की आपूर्ति की जा रही है उस राज्य में जीएसटी का रजिस्ट्रेशन कराना होता है। अगर संगठन अलग राज्य में काम कर रहा है तो हर राज्य में अलग से रजिस्ट्रेशन कराना होगा।


जीएसटी कितने प्रकार के हैं?

जीएसटी के तीन प्रकार हैं जैसे आईजीएसटी, सीजीएसटी और एसजीएसटी। वर्तमान में, वैट, मनोरंजन कर, लॉटरी कर, प्रवेश कर और चुंगी विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर राज्यों द्वारा लगाया जाता है। राज्यों के सेस, सरर्चाज आदि को SGST कहा जाता है। इसका पूरा नाम स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स है।

वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न वस्तुओं या सेवाओं जैसे उत्पाद शुल्क, सेवा कर, सरर्चाज सीमा शुल्क, विशेष उत्पाद शुल्क, सरर्चाज और सेस आदि पर लगाए जाने वाले कर को सीजीएसटी कहा जाता है। इसका पूरा नाम सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स है।

स्थानीय राज्य के बाहर वस्तुओं या सेवाओं के आदान-प्रदान पर लगाया या एकत्र किया गया कर IGST कहलाता है। इसका पूरा नाम इंटरस्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स है।


जीएसटी की कितनी योजनाएं चल रही हैं?

अभी GST में दो जीएसटी भुगतान योजनाएं हैं (1) (Lumpsum / Composition ) (2) Regular GST

    (1)   (Lumpsum / Composition )

इस प्रकार की योजना का उपयोग व्यापार या निर्माण के लिए किया जा सकता है यदि करदाता का वार्षिक कारोबार 1.5 करोड से कम है, जबकि सेवा प्रदाताओं की वार्षिक ग्रोस ईनकम 50 लाख से कम है और वे अपने राज्य के बाहर काम नहीं कर रहे हैं। कानून के अनुसार, एक व्यापारी को अपनी बिक्री का एक टका देना होता है, जबकि सेवा प्रदाताओं की वार्षिक ग्रोस ईनकम का छह टका सरकार को देना होता है।

 

    (2)   Regular GST

इस प्रकार के कानून के अनुसार, करदाता को सामान और सेवाओं की खरीद पर भुगतान किए गए जीएसटी और बिक्री पर लगने वाले जीएसटी के बीच के अंतर पर तय की गई दर पर सरकार को भुगतान करना होता है।


ई-वे बिल क्या है?

ई-वे बिल का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक्स वे बिल है। Registration  वाले प्रत्येक व्यापारी या अन्य संस्था को एक ऐसा बिल तैयार करना होता है जो ट्रांसपोर्टर को तब दिया जाता है जब 50,000 रुपये से अधिक की वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर की जानी हो।


आरसीएम क्या है?

RCM का पूरा नाम रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म है। जब कोई Register फर्म या संगठन स्थानीय राज्य में उसी Unregistered फर्म या संगठन से 50,000 रुपये या उससे अधिक मूल्य की वस्तुओं या सेवाओं की खरीद करता है, तो लेनदेन में जीएसटी की राशि Supplier की ओर से Goods Purchase or Service Purchase द्वारा भुगतान की जानी है। आरसीएम संदर्भित करता है उस प्रक्रिया के लिए जिसके द्वारा माल या सेवाओं के प्राप्तकर्ता को कुल देय कर में से सरकार से भुगतान किए गए कर की राशि प्राप्त होती है।


HSN और SAC कोड क्या होते हैं?

जीएसटी के कानून के मुताबिक, माल या सेवाओं के लेन-देन में लगे सभी लोगों द्वारा जारी किए गए बिल में HSN और SAC कोड बताना होता है।

(1)   जिन लोगों का सालाना टर्नओवर 1.5 करोड से कम है, साथ ही जिन लोगों ने जीएसटी का कंपोजिशन विकल्प चुना है, उन्हें HSN और SAC कोड बिल में लिखने की जरूरत नहीं है।

(2)   जिनका सालाना टर्नओवर 1.5 से 5 करोड के बीच है, उन्हें बिल में HSN/SAC के पहले दो अंक बताना जरूरी है।

(3)   जिनका सालाना टर्नओवर 5 करोड से ज्यादा है, उन्हें बिल में HSN/SAC  के पहले चार अंक बताना जरूरी है।

(4)   जो लोग अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में आयात/निर्यात का कारोबार कर रहे हैं, उन्हें बिल में HSN / SAC के आठ अंक लिखने होते हैं।

ईस बलोग के जरीए आपने जाना के GST, RCM,HSN ओर SAC कया है। 

जीएसटी के Practice के लिए उदाहरण GST in Wall Clock Exp-2 GST with Godown पर क्लिक करें

आप को हमारा ये बलोग केसा लगा ये Comment में जरर बताईगा।


 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for Your Comment !!!